आज का लेख “सलखान फॉसिल पार्क| Salkhan Fossils Park ” इसको विस्तृत रूप से लिखा गया है General knowledge (सामान्य ज्ञान )की अधिक से अधिक जानकारी के लिए एवं अच्छे प्रश्नों के लिए वेबसाइट hindigk guru पर विजिट करें |
जीवाश्म पृथ्वी पर विकसित जीव-जंतु, पेड़-पौधो के अवशेष, जो भूूमि पर पाये जाते है,को जीवाश्म कहते है, हजारों वर्षो पूर्व के जीव-जंतुओ ,वनस्पपतियों की जानकारी इन जीवाश्मो द्वारा ही किया जाता है|पृथ्वी पर जीवन को और अधिक विकसित एवं सुगम बनाने के लिए इनका अध्ययन किया जाता है, विज्ञान की यह शाखा “जीवाश्मिकी” केे अन्तर्गत आता है|
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सलखान फॉसिल पार्क कहा है
सलखन उत्तर प्रदेश केे ” सोनभद्र” जिले में इस दुनिया का सबसे बड़ा जीवाश्म पार्क हैै, यह पार्क सोनभद्र के सलखन में कैैमूर वन्य जीव अभ्यारण के निकट स्थित है यह इस संसार का सबसे प्रराचीन पार्क हैै|
अमेरिका के “यलो स्टोन नेशनल पार्क” से भी अधिक प्रराचीन, जीवन के विकास की कहानी को प्ररदर्शित करता अत्यंत सुंदर है !आश्चर्यजनक बात तो यह है कि यहाँ के फासिल्स निरन्तर बढ़ रहे हैं, विश्व भर के अनेेकों वैैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे है|
सलखान फॉसिल पार्क कैसा है?
सोनभद्र की गोद में बसा यह पार्क भारत का ही नहीं पूरी दुनिया का एक अमूल्य धरोहर है; चारों ओर पेड़-पौधो, झाड़ियो के बीच इन फासिल्स को नूकिले पत्थरो , गोलाकार चट्टानों के रूप में देखा जा सकता हैं |
अजीब सी दिखने वाली यह चट्टानें अपने में अनेक रहस्यों को छिपाये हुए हैं! इन जीवाश्मो में अति सुंदर, स्पष्ट हाथी, खरगोश, चुहे आदि का जीवाश्म देखा जा सकता है, यही पास में एक छोटी सी नदी भी है|
इतने सुंदर, स्पष्ट अद्भुत फासिल्स इस संसार में कहीं और नहीं है, वैज्ञानिकों के अनुसार, ये जीवाश्म धरती के विकास के समय से है! बारिश के मौसम में यहाँ का दृश्य अत्यंत लुभावना होता है , चारों ओर अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ, झाड़ियाँ फैली हुई है पशु- पक्षियों, जानवरों से परिपूर्ण यह जगह दर्शनीय है|
सलखन फॉसिल पार्क तथ्य
1.यह फॉसिल पार्क करीब 150 वर्ष पुराना है, इसके महत्व का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई देशों के विश्वविद्यालयों में इससे जुड़े रिसर्च पेपर रखे गए है!
2. अगस्त 2002 को जिला मजिस्ट्रेट भगवान शंकर द्वारा जीवाश्म पार्क के रूप में उद्घाटन किया |
3.दिसंबर 2002 में 50 देशों के भू वैज्ञानिकों ने भारत आकर इस जगह का निरीक्षण किया उनके अनुसार यह सलखन पार्क विश्व का इकलौता जीवाश्म पार्क है |
4.इसमें भविष्य की अनेकों संभावनाएं हैं, यह पूरी दुनिया के लिए अत्यंत बहुमूल्य है |
5.सलखन फॉसिल पार्क का खोज 1933 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने किया था |
6.शोधकर्ता मुकुंद शर्मा ने इस क्षेत्र की खोज की।
7.पार्क में पाए जाने वाले जीवाश्म शैवाल और स्ट्रोमेटोलाइट प्रकार के जीवाश्म हैं।
8.कैैमूर वन्य जीव अभ्यारण हुआ में लगभग 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है |
9.सुरक्षा का पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण यहाँ की बहुत सी चीजे नष्ट हो रहा है|
सलखान फॉसिल पार्क का महत्व
इन जीवाश्मो का महत्व वर्तमान समय में बहुत अधिक है, पृथ्वी पर निरन्तर हो रहे भौगोलिक परिवर्तनों को समझने में सलखन केे ये जीवाश्म उपयोगी हो सकते है |यह पार्क पृथ्वी पर जीवन के विकास जीधारियों की क्रमिक उत्पत्ति को समझने में अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है |
साथ ही साथ विलुप्त हो गए जंतुओं जैसे डायनासोर आदि के बारे में जानने में मदद मिलेगी कि वह कौन से कारण थे ?जिसकी वजह से कुछ जीवधारी जीवन यापन नहीं कर पाते और हमेशा हमेशा के लिए धरती से विलुप्त हो जाते हैं| किस प्रकार से धरती का जलवायु परिवर्तन हो रहा है एवं पृथ्वी के गर्भ में छिपे और दूसरे रहस्य के बारे में जानने में मदद मिलेगी |
सलखान फॉसिल पार्क पहचान
बहुत ही दु:ख की बात है कि बहुत से भारतीय लोग भी इस जगह के बारे में नहीं जानते है| भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस जगह को पर्यटक स्थान में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि ये पूरी दुनिया का वह धरोहर है, जो विकास की नई कहानी को लिख सकता है |
प्रकृति के इस अद्भुत नजरें को दखने के लिए एक बार जरूर आये सलखन |
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