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कुतुब मीनार की कहानी
भारत में बहुत सारे ऐतिहासिक धरोहर है | जिस प्रकार हमारे देश में अलग-अलग भाषा , रहन-सहन वेशभूषा है | उसी तरह से देश के अलग-अलग भाग में अलग-अलग तरह की ऐतिहासिक जगह है | इन इमारतों का निर्माण में उस समय शासन कर रहे राजाओं ने अपने शान शौकत का परिचय देने के लिए बनवाया करते थे |
आज के समय में यह हमारे देश की विरासत और पर्यटन का केंद्र है | जैसे लाल किला जहां पर प्रतिवर्ष भारत के प्रधानमंत्री स्वतंत्र दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम करते हैं |वही ताजमहल जोकि विश्व का सातवां आश्चर्य है विश्व के कोने-कोने से लोग इसे देखने के लिए आते हैं |आज हम आपको भारत की सबसे ऊंची इमारत कुतुब मीनार के बारे में बता रहे हैं |
कुतुब मीनार का इतिहास
दिल्ली का प्रथम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था वह गुलाम वंश का संस्थापक था | दिल्ली का सुल्तान बनने से पहले यह मोहम्मद गोरी का गुलाम हुआ करता था | वह मुख्य रूप से तुर्किस्तान के थे गौरी के दरबार में यह सैन्य गुलाम के रूप में कार्य करता था | गोरी इसकी वीरता साहस से बहुत प्रभावित था | 1200 दिल्ली का सुल्तान बना और 4 साल तक राज्य किया अपने शासनकाल के दौरान इसने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य शुरू करवाया था और केवल इसका आधार ही बनवाया था |
कुतुबमीनार का आधार कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था इसके ऊपर की तीन मंजिले इल्तुतमिश ने बनवाया था और अंतिम की दो मंजिलें फिरोजशाह तुगलक ने बनाया था | इस प्रकार 6 मंजिलें कुतुबमीनार का निर्माण कार्य संपन्न हुआ था | कुतुब मीनार का निर्माण कार्य 1199 से शुरू हुआ था और यह 1220 में बनकर पूरी तरह से तैयार हुआ था | इस प्रकार से कुतुबमीनार को बनने में लगभग 21 साल का समय लग गया |
कुतुब मीनार कैसा है
यह पूरा मीनार लाल , बलुआ एवं सुनहरे पत्थर से बना हुआ है| विभिन्न कलाकृतियों ,फूलों, बेलों की सुंदर नक्काशेकारी की गई है | इसकी दीवारों पर कुरान की आयतें लिखी हुई है | यह दीवारें भारतीय संस्कृति परंपरा को आपस में पिरोए हुए कला कृतियों का अनूठा रूप प्रस्तुत करती हैं | भारतीय शिल्प कला को शोभायमान करती यह दीवारें युगो युगो तक भारत देश को अलंकृत करती रहेंगी |
कुतुब मीनार क्यों बनाया गया था
13वीं शताब्दी में निर्मित यह इमारत 73 मीटर ऊंचा है | कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण नमाज अदा करने के लिए करवाया था | मीनार के हर मंजिल पर आगे की ओर बढ़े हुए हैं तथा इसको पत्थर से सहारा दिया गया है |
इन पत्थरो पर बहुत ही अच्छी कलाकृति की गई है कुतुब मीनार जिस एरिया में स्थित है वहां यह मीनार अकेला नहीं है| यहां बहुत सारी छोटी-बड़ी और भी इमारते हैं जो कि आपस में एक दूसरे को जोड़ती हैं | अलाई दरवाजा , अलाई मीनार, लोह स्तंभ , अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा, इस्लाम मस्जिद आदि और कई सारी इमारतें हैं |
अलाई मीनार
अंदर में स्थित अलाई मीनार अत्यंत ही सुंदर है इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी द्वारा करवाया गया था इस इमारत को वह कुतुब मीनार से भी ऊंचा बनवाना चाहता था किंतु केवल पहली मंजिल ही बना पाया था जो कि 25 मीटर ऊंची थी | इस प्रकार अलाई मीनार को आगे किसी ने नहीं बनाया |
खिलजी की मृत्यु के बाद इसका काम रुक गया इस संकुल में स्थिति मीनारें अत्यंत आकर्षक और भव्य हैं इसमें से कुछ इमारतें के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त भी हो चुके हैं | यूनेस्को द्वारा यह पूरी जगह विश्व धरोहर में शामिल किया गया है |
अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा
अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा देश का पहला मकबरा है जिसमें बच्चों को इस्लामिक शिक्षा दी जाती है | इस मकबरे का गुंबद नहीं है इस मदरसे की स्थापना खिलजी ने धर्म और इस्लाम की शिक्षा के लिए बनवाया था | महरौली में एक पार्क भी है जिसे मैं बलबन का मकबरा है |
कुतुब उल इस्लाम मस्जिद
कुतुब उल इस्लाम मस्जिद यह भारत में बनी पहली मस्जिद है इसका अर्थ है इस्लाम की शक्ति इसका निर्माण हिंदू मंदिर के ऊपर किया गया है |
लौह स्तंभ
महरौली स्थित लौह स्तम्भ का निर्माण किस शताब्दी में हुआ और किसने कराया?
लौह स्तम्भ का इतिहास
इस पूरे कंपलेक्स में सबसे अनोखी कोई चीज है तो वह यह लौह स्तंभ हैं | लौह स्तंभ का इतिहास बहुत ही पुराना है इस लौह स्तंभ को विष्णु स्तंभ के नाम से जानते हैं | इसका निर्माण चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने करवाया था |
लौह स्तम्भ की क्या विशेषता है
अक्सर हम देखते हैं कि लोहे से बनी कोई सामान पर शीत, वर्षा, वातावरण आदि के कारण उस पर जंग लग जाती है | आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 2000 वर्ष पूर्व बनी यह लोह स्तंभ पर जंग नहीं लगा है जबकि यह खुले आसमान के नीचे हैं जो कि गर्मी में धूप से जला कर सकता है तो ठंडी में शीतकालीन हवाओं से मार खाता है | वही बरसात में वर्षा से भीगता है फिर भी इस पर जंग नहीं लगता इतना ही नहीं बल्कि स्तंभ एक भी लोहे के जोड़ दिखाई नही देती है|
यह अपने आप में एक अनोखी बात है कि क्या 2000 वर्ष पूर्व गर्म लोहे के टुकड़े को जोड़ने की कोई ऐसी तकनीक मौजूद थी जिससे कि इस पर एक भी जोड़ के निशान नहीं दिखाई देते हैं | लौह स्तम्भ 97 % शुद्ध लोहे से बना है जिससे इस पर जंग नहीं लगता है यही कारण है कि यह आधुनिक विज्ञान के लिए कैतूहल का केंद्र है |
क्यों झुक रही है कुतुब मीनार?
कुतुबमीनार का ऊपरी हिस्सा बिजली गिरने से क्षतिग्रस्त हो गया था | तब फिरोजशाह तुगलक ने इसका फिर से निर्माण करवाया | ऊपर का भाग संगमरमर से बना हुआ तथा यह शेष मीनार से काफी अलग है बार-बार मरम्मत कराने के कारण मीनार थोड़ा सा झुक गया है |
सर्वे आफ इंडिया देहरादून के अनुसार कुतुब मीनार अपने आधार केंद्र के तुलना में लगभग 3.5 सेकंड प्रतिवर्ष के दर से झुक रहा है | वैसे तो यह झुकाव लगभग नगण्य है परंतु इसको रोकने के लिए सरकार के द्वारा उचित कदम उठाया गया है | जिसके अंतर्गत कुतुब मीनार की संपूर्ण आधार में जल रिसाव को अवरुद्ध कर दिया गया है | जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्मारक के नींव में जल रिसाव ना हो |
कुतुब मीनार दुर्घटना
आखिर ऐसा क्या हुआ कि कुतुब मीनार की आखिरी मंजिल को हमेशा हमेशा के लिए बंद करना पड़ा |
सन 1984 को उस समय तक आखरी मंजिल तक लोग जा सकते हैं एक बार की बात है सन 1984 में शाम का समय था | कुतुबमीनार में पर्यटकों की ज्यादा भीड़ थी उस समय लगभग 70 लोग जो कुतुबमीनार में मौजूद थे जिसमें स्कूली बच्चे ज्यादातर थे |
अचानक लाइट चली गई और वहां भगदड़ मच गया | ऊंची मीनार के अंदर की सीढ़ियां बहुत ही संकरी और छोटी हैं | जिसकी वजह से एक बार में केवल कुछ ही लोग नीचे उतर सकते थे| अतः इस घटना में 50 लोग मारे गए जिसके बाद छठे मंजिल को हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया | बाद में जब कभी भी इसे खोलने की कोशिश किया गया | कुछ ना कुछ अप्रिय घटना होता रहा जिसके कारण वह सरकार की अनुमति से इसे कभी नहीं खोलने का निर्णय लिया गया |
विश्व की सबसे ऊंची इमारत है कुतुब मीनार
क़ुतुब मीनार की लम्बाई
कुतुबमीनार ईट से बना दुनिया का सबसे ऊंचा मीनार है जो कि ईट से बना हुआ है | इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है और कुतुब मीनार के अंदर कुल 379 सीढ़ियां हैं |
कुतुब मीनार से जुड़े विवाद क्या हैं?
हिंदू संगठन द्वारा कोर्ट में याचिका दिया गया था कि इस्लाम मस्जिद जो की मंदिर की नीव पर बना हुआ है | वहां हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिले | ज्ञात तथ्य वहां स्थिति स्तंभों और चबूतरो से पता चलता है कि वहां पर हिंदू मंदिर था | यहां पर अनेकों ऐसे साथ मौजूद है जो इस बात का जवाब देते हैं कि मस्जिदों का निर्माण हिंदू मंदिर की नींव पर हुआ है |
कुतुब मीनार टिकट
कुतुब मीनार देखने के लिए आपको टिकट की आवश्यकता होगी कुतुब मीनार टिकट की कीमत ₹30 भारतीय नागरिकों के लिए वही ₹500 विदेशी नागरिकों के लिए है | टिकट आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं | क़ुतुब मीनार सभी दिन खुला रहता है | कुतुब मीनार खुलने का समय सुबह 6:00 बजे के बाद शाम के 6:00 बजे तक होता है |
कुतुब मीनार के अंदर भोजन की अनुमति नहीं है आप केवल पानी की बोतल को ही अंदर ले जा सकते हैं बाहर लगभग खाने-पीने की हर चीज मौजूद है |
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लाल किला के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य