दीपावली पर निबन्ध | Essay on Diwali

दीपावली पर निबन्ध | Essay on Diwali

Table of Contents

रूपरेखा

  आज के लेख का शीर्षक दीपावली पर निबंध| विभिन्न धर्मों में दीपावली मनाए जाने का कारण , इतिहास पर आधारित है | इस इस निबंध को विस्तृत रूप से लिखा गया है यह निबंध विशेषत: UPSC, SSC, TET, CTET, BED आदि परीक्षाओं को को ध्यान में रखकर लिखा गया है | 

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प्रस्तावना

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है | वह समाज में रहकर अनेक त्यौहार मनाते है, जैसे –दीपावली , होली ,दशहरा, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व आदि प्रमुख त्योहार है | हमारे देश के अंदर बहुत ही प्राचीन काल से विभिन्न जाति धर्म तथा तीक्ष्ण बुद्धि वाले मानव पैदा होते चले आए हैं |

हमारा देश बहुत ही विशाल देश है, समय-समय पर अपने देश की परंपराएं सदैव से चली आ रही है और लगभग हर समय में समाज के अंदर विकृतियां भी आती रही हैं | और उसी के अनुसार बड़े-बड़े महान पुरुष कभी राजा के रूप में कभी संत सन्यासी के रूप में और कभी समाजसेवी धर्मात्मा पैदा हुए हैं, जो कि समाज की विकृतियों को बदलकर मानव कल्याण के लिए मार्गदर्शन किए हैं | जिससे समाज में बुराइयों का अंत होता रहा और सुख शांति का मार्ग प्रशस्त होता रहा हमारे देश में सभी धर्मों के लोग रहते हैं तथा वे एक दूसरे के त्यौहार को आपस में बड़े प्रेम भाव से मनाते हैं |

मनुष्य त्यौहार मना कर आनंद की अनुभूति करता है , त्योहारों पर लोग एक दूसरे को बधाई तथा उपहार भी देते हैं | हमारा देश एक धार्मिक देश है यहां पर इसीलिए राष्ट्रीय तथा धार्मिक दोनों त्योहारों को लोग आपस में मिलकर मनाते हैं |आज मनुष्य विभिन्न त्योहारों को मनाता है जो कि प्रत्येक देश में किसी ना किसी रूप में अवश्य ही मनाया जाता है | त्योहारों का मानव जीवन में एक अलग ही महत्व होता है |

दीपावली मनाए जाने का समय

हिंदुओं का प्रसिद्ध एवं पवित्र त्योहार दिवाली कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है | दशहरा के उपरांत दीपावली का आगमन प्रारंभ होता है , इस समय हल्की ठंड होती है |

वर्णन

दीपावली के त्यौहार पर रात में विशेष रूप से दीपक जलाकर प्रकाश किया जाता है इसीलिए इसे दीपावली या दीपमलिका या दिवाली के नाम से पुकारा जाता है | दीपावली हिंदी भाषा के दो शब्दों दीप + अवली की संधि से बने दीपावली में दीप की चमक से अमावस्या की रात भी  जगमगा उठती है |

दीपावली का त्यौहार सभी घरों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है | बच्चे, बूढ़े और स्त्री पुरुष सभी इस त्योहार की प्रतीक्षा किया करते हैं | यह  त्यौहार खुशी और उमंग का त्यौहार है | दीपावली का त्यौहार मनाए जाने के कई दिन पूर्व से ही घरों की लिपाई – पुताई तथा साफ- सफाई की जाती है | इस दिन घरों में विशेष तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं | इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने घरों को, दुकानों को, मकानों को बहुत ही अच्छी तरह से सजाता है | दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं  |

दशहरे के बाद दीपावली की तैयारियां शुरू हो जाती है लोग नये वस्त्र सिलवाते या खरीदते हैं | दीपावली को लेकर लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है |

दीपावली का मनोहारी दृश्य 


दीपावली
का त्यौहार शरद ऋतु में मनाया जाता है | इस समय प्रकृति विभिन्न प्रकार के फसल रंग-बिरंगे पुष्प का परिधान पहने हुआ होता है | इस समय ना ही अधिक गर्मी पड़ती है और ना ही अधिक ठंडी होती है | लगभग सामान्य हल्की ठंडी सुनहरा मौसम होता है  |

कार्तिक के अमावस्या की घनघोर अंधकार को प्रकाश से भर देने के लिए दीपो की पंक्तियां सजाई जाती है| प्रत्येक सड़क, गली, मोहल्ले दीपों से जगमगाने लगते हैं | बहुत ही स्थानों पर तो घरों को रंग-बिरंगे बिजली के बल्ब , दीपो , मोमबत्तियां आदि से सजाया जाता है | इस समय तो  अधिक से अधिक रोशनी तथा सजावट का प्रयोग होता है |बहते हुए पानी की धारा में जलता हुआ दीपक अंधकार को चीरता हुआ आगे बढ़ता है | यह दृश्य अत्यंत ही मनोहारी होता है, इस दिन मिठाई की दुकान विशेषकर सजाई जाती हैं |

दीपावली के दिन तो रंगोली बनाना भी शुभ माना जाता है  |शुभता के प्रतीक रंगोली कल्पना का विशेष महत्व होता है घर के मुख्य द्वार, पूजा घर, प्रत्येक कमरों के दरवाजों, रसोईघर आदि जगह रंगोली  बनाया जाता है |दुनिया के हर  देशों में समृद्धि एवं धन- धान्य की कामना करने वाले रीति रिवाज और उत्सव आदिकाल से मनाए जा रहे हैं | लेकिन दीपावली भारत का एक अपना अद्वितीय पूर्व है जो साल का सबसे बड़ा उत्साह होता है | धन की देवी की पूजा इतने विराट पैमाने पर कहीं और देखने को नहीं मिलता है |

दीपावली मनाए जाने का कारण

दीपावली मनाई जाने के अनेक कारण प्रचलित है | कहा जाता है कि यह  श्रीराम का विजय उत्सव तो भगवान श्री कृष्ण का विजय दिवस भी है दीपावली मनाए जाने का तीसरा कारण  राजा बली को दिया गया भगवान विष्णु का वरदान | वामन अवतार लेकर उन्होंने राजा बलि से तीन पग  की जगह मांग ली थी |दो पग  सारी धरती (पृथ्वी) नाप ली गई तो तीसरे पग के लिए राजा बलि ने स्वयं को समर्पित  कर दिया |

इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने भू लोकवासियों को बलि की स्मृति में साल में एक बार दीप जलाने का निर्देश दिया | दीपावली के दिन दिए जलाना स्वामी शंकराचार्य के साथ भी जुड़ा हुआ है | काम शास्त्र का अध्ययन करने के लिए उन्होंने परकाया प्रवेश किया उनके शिष्य शरीर का दाह संस्कार करने वाले थे कि उनका शरीर सजीव हो उठा, यह घटना भी दीपावली  के दिन घटा था  |

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने भी इसी दिन अपने शरीर को त्यागा था | गुरु हरगोविंद ने दीपावली के दिन ही ग्वालियर के किले से मुक्ति पाई थी इन कारणों से भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है |

ऐतिहासिक कथा

कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम लंका के राक्षस राक्षस रावण का वध तथा उसके संपूर्ण राक्षस जाति का विनाश करके 14 वर्ष का वनवास पूरा करके |  भगवान राम, माता सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे |तो अयोध्या वासियों ने अपने घरों को दीपों से प्रज्वलित करके थाल में दीप ,पुष्प, मिष्ठान आदि को सजा कर उनका स्वागत किए थे | 

दीपो के प्रकाश से सारी अयोध्या जगमगा उठी थी तभी से इसे रोशनी का पर्व भी कहा जाता है| एक दूसरे मान्यता के अनुसार धन की देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर यह देखने के लिए आती है कि मेरी मान (पूजा) कहां और किसके यहां कैसी है | इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने घरों को लक्ष्मी जी की कृपा से सजाता है और माता लक्ष्मी जी की कृपा का आशा करता है |दीपावली का त्यौहार 5 दिन तक मनाया जाता है| दीपावली त्यौहार की शुरुआत धनतेरस से होता है |

धनतेरस मनाने का कारण

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन की देवी का उत्सव का प्रारंभ होने के कारण इस दिन को धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है | इस दिन को धनत्रयोदशी या धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है |धनतेरस के दिन दीपोत्सव का पहला दिया जलाना भी शुभ माना जाता है |

धनतेरस के बारे में अनेक कथा प्रचलित है कहा जाता है कि हीमा नामक एक राजा एक पुत्र की कुंडली में विवाह के चौथे दिन सर्प के काटने के कारण मृत्यु का योग  था | राजा ने अपना वंश आगे बढ़ाने के लिए अपने बेटे का विवाह कर दिया परंतु जब उसकी पत्नी को यह बात पता चली तो वह शादी के चौथे दिन उसने अपने कमरे की चारों ओर खूब रंग बिरंगी रोशनी कर दी और सोना चांदी के आभूषण मुख्य द्वार पर ढेर की तरह लगा दिए ताकि कोई अंदर ना आ सके और पति को नींद ना आए इसलिए वह सारी रात उसे धार्मिक और प्ररेणा दायक कहानियां सुनाती रही |

रात में जब मृत्यु के देवता यमराज साप के रूप में उसके पति को डसने के लिए आये तब वह आभूषणों की चकाचौंध एवं रंग बिरंगी रोशनी के कारण उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दिया वह कमरे में प्रवेश नहीं कर पाए और खाली हाथ लौट गए | एक पतिव्रता पत्नी के द्वारा मृत्यु के द्वार से भी अपने पति की मौत को लौटा देने के कारण इस दिन को धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है|


धनतेरस के त्यौहार के उपरांत नरक चतुर्दशी का त्यौहार होता है |

नरक चतुर्दशी मनाया जाने का कारण

नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली कहते हैं, यह नरक चौदस या नर का पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है |इस दिन कहीं-कहीं यम दीया जलाने का प्रचलन है| नरक चतुर्दशी के संबंध में कई पौराणिक कथाएं और लोक मान्यताएं प्रचलित है |

एक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था एवं 16100 कन्याओं को नरकासुर के बंधन से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था | एक अन्य कथा के अनुसार रंतिदेव पुण्यात्मा राजा थे वे अनजाने में भी कोई पाप नहीं करते थे | लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमराज के दूतों  को देखकर राजा आश्चर्यचकित हो गए और बोले मैंने तो कभी भी कोई पाप कर्म नहीं की तो आप लोग मुझे क्यों लेने आए हैं |  यमराज के दूतों ने कहा एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था यह उसी पाप कर्म का फल है | राजा ने यमदूत से 1 वर्ष का समय मांगा यमदूत ने उन्हें मोहलत दे दी |

राजा ने एक ऋषि के पास जाकर सारा वृत्तांत सुनाया तब ऋषि बोले हे राजा ! आप कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनके प्रति हुए इस अपराध की क्षमा मांगे राजा ने ठीक वैसा ही किया और राजा को विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ इस कारण से नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाता है|


नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली मुख्य त्योहार होता है दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होता है |

गोवर्धन पूजा मनाए जाने का कारण

गोवर्धन पूजा मनाई जाने के पीछे का कारण यह है कि कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव को पराजित किया था तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है |

गोवर्धन पूजा के अगले दिन भैया दूज होता है |
दीपावली के इस बड़े उत्सव का शुरुआत धनतेरस से तथा भैया दूज मनाये जाने के साथ ही  इस त्यौहार की समाप्ति हो जाती है |

दीपावली मनाए जाने का वैज्ञानिक कारण

वर्षा ऋतु के पश्चात घरों में जो गंदगी तथा सीलन होता है वह घरों की साफ-सफाई लिपाई -पुताई होने का कारण दूर हो जाता है | खुले आसमान के नीचे घी का दिया जलाने से वातावरण शुद्ध होता है |

इस त्यौहार के माध्यम से दूषित वातावरण को समाप्त करके स्वच्छ हवा में सांस लेते हैं | पूजा के समय शंखनाद से वायुमंडल में उपस्थित बैक्टीरिया मर जाते है| इस वजह से भी दीपावली का त्यौहार मनाना हितकर है

दोस और सुधार

दीपावली पर कुछ लोग जुआ भी खेलते हैं, वह सोचते हैं कि इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बनी रहेगी जुआ खेलना पर्व की पवित्रता तथा समाज के सुखद वातावरण को दूषित कर देता है|

  हमें इस अवसर पर जुआ खेलने जैसा बुरा काम नहीं करना चाहिए | दीपावली पर आतिशबाजी भी बहुत होती है जो कि वायुमंडल को दूषित कर देता है पटाखे जलाने पर तापमान में बढ़ोतरी होती है एवं बेजुबा जानवरों को भी इससे काफी दिक्कत होता है |

आतिशबाजी से निकलने वाले मैगनीज और लौह तत्व सेहत के लिए खराब होते हैं |  पटाखे में अति विषैला तत्व की मात्रा काफी रहता है इसलिए हमें आतिशबाजी नहीं करना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए |

शिक्षा

दीपावली और असत्य पर सत्य अधर्म पर धर्म  की विजय का प्रतीक है | दीपावली से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने अंतर्ज्ञान व अंधकार को मिटाकर आत्म ज्ञान की ज्योति जलाना चाहिए |

दीपावली की मिठाइयां और उपहारों का आदान-प्रदान के पीछे मनोवैज्ञानिक पहलू यह है कि हमें पुरानी गलतफहमी एवं आपसी कड़वाहट को छोड़कर संबंध मधुर बनाना चाहिए | दीपावली का त्यौहार हमें मानवता एवं भाईचारे का संदेश देता है |

उपसंहार

दीपावली का त्यौहार एक महान त्योहार है, दीपावली पर प्रत्येक नागरिक को देश के विकास के लिए प्रतिज्ञा करनी चाहिए जिससे कि वह धन-धान्य से परिपूर्ण बना रहे यह त्यौहार एकता सद्भावना का प्रतीक माना जाता है |

हमें नाना प्रकार की कुरीतियों एवं दोषों को त्याग कर त्योहार को उचित सम्मान देना चाहिए | वर्तमान समय में जब पूरी दुनिया कोरोना से संघर्ष कर रही है तो यह आवश्यक है कि अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए सुरक्षित दीपावली का त्यौहार मनाएं |


                             ” जीवन आनंद है,
                               जीवन उत्सव है,
                               जीवन शांति है,
                               जीवन प्रेम है “||


                       ** शुभ दीपावली**

FAQs

Q1 दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाता है?

A. दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या( अक्टूबर या नवंबर) के महीने में मनाया जाता है |


Q2. दीपावली के त्यौहार पर कौन से भगवान की पूजा की जाती है?

A. माता लक्ष्मी एवं भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है|


Q3. दीपावली का त्यौहार किन देशों में मनाया जाता है?

A. दीपावली का त्योहार मुख्य रूप से भारत एवं दूसरे देशों में भी अलग-अलग रूप में मनाया जाता है|

Q4. भारतीय दीपावली के त्यौहार को कैसे मनाते हैं?

A. भारतीय लोग इस त्यौहार को खुशी तथा हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं |


Q5. भारत के विभिन्न राज्यों में दिवाली कैसे मनाई जाती है ?

A. विभिन्न राज्यों में दिवाली का त्यौहार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है|

Q6. भारत में दिवाली कितने दिनों तक मनाई जाती है?

A. भारत में दीपावली पूरे 5 दिनों तक मनाई जाती है|

Q7. दीपावली की त्यौहार से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

A.  दीपावली का त्यौहार हमें मानवता एवं भाईचारे का संदेश देता है |

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