रक्षाबंधन

रक्षाबंधन पर निबन्ध | इतिहास, महत्व |Story of Raksha bandhan in hindi 2022

रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई , रक्षा बंधन की कहानी क्या है?,रक्षा बंधन क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?रक्षा बंधन कब से शुरू हुआ,स्टोरी ऑफ़ रक्षा बंधन |

Table of Contents

रक्षाबंधन प्रस्तावना

हमारे देश भारत में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं  जैसे की होली, दिवाली ,रक्षाबंधन ,ईद ,क्रिसमस आदि यूं तो हमारा त्यौहारों का देश है| यहां पर लगभग हर महीने कोई ना कोई व्रत त्यौहार अवश्य होता है | भारतीय लोगों के जीवन में त्योहारों का एक अलग ही महत्व होता है| हिंदुस्तानी घरों में त्योहारों पर एक अलग ही प्रकार का उमंग देखा जाता है परिवार हमारे जीवन में खुशियां लाते हैं |

रक्षाबंधन का त्यौहार

रक्षाबंधन का त्यौहार दो शब्दों रक्षा और बंधन से मिलकर बना हुआ है |रक्षा का मतलब होता है सुरक्षा और बंधन का मतलब है बाध्यता | विशेषत: रक्षाबंधन भाई बहनों का त्यौहार है |

इस त्यौहार पर बहन अपने भाई को राखी बांधती है तथा उसकी लंबी आयु की कामना करती है एवं भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वादा करता है| इस  त्यौहार का महत्व बहुत अधिक है रक्षाबंधन का त्यौहार भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक हैं |

रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने का समय

रक्षाबंधन का त्योहार प्रति वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है | सावन महीने यानि की अगस्त के महीना में होता है सावन महीने में मनाए जाने के कारण ही इस त्यौहार को सावनी भी कहते हैं |

2022 में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाए जाने का समय

राखी बांधने का सही समय क्या है?

इस वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार 2 दिन मनाया जाएगा 11 अगस्त और 12 अगस्त | 11 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार 10:38 का शुभ मुहूर्त है एवं 12 अगस्त को सुबह 7:05 का समय  है | राखी बांधने का एक शुभ अवसर होता है अतः शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधे रात के समय में कभी भी रखी नहीं बनाना चाहिए |

रक्षाबंधन मंत्र (Raksha bandhan mantra 2022)

– ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

हिंदी में इसका अर्थ – जो रक्षा सूत्र महाशक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था उस रक्षा सूत्र को मैं तुम्हें बांध रही हूं |  हे राखी! तुम अडिग रहना अपनी रक्षा के वचन से कभी पीछे नहीं हटना अर्थात विचलित नहीं होना |

रक्षाबंधन का पर्व क्यों मनाया जाता है

इंद्र और असुर की कहानी

पुराणों के अनुसार एक बार की बात है दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया | युद्ध बहुत ही भयानक रहा और इसमें देवताओं की लगभग हार हो रही थी | इससे घबराकर देवताओं के राजा इंद्र गुरु बृहस्पति के के पास सहायता लेने के लिए पहुंचे वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी सब कुछ सुन रही थी | उन्होंने रेशम का एक धागा मंत्रों की शक्ति के साथ इंद्रदेव की कलाई पर बांध दिया |

संभवत वह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था | इंद्रदेव की इस युद्ध में विजय होती है इस जीत कारण इंद्र की कलाई पर बंधी रक्षा कवच थी | जिसमें मंत्रों की शक्ति थी जिसकी वजह से इंद्रदेव यह युद्ध जीत पाए कहा जाता है तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है |

राजा बलि की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा बलि रसातल में चला गया तब उसने अपने भक्ति के बल पर भगवान को दिन-रात अपने सामने रखने और रहने का वचन मांग लिया | अपने वचन से बधकर जब भगवान रात-दिन  उसके सामने खड़े रहे | लक्ष्मी जी परेशान हो गइ | अपने पति भगवान श्री विष्णु को वापस लाने के लिए उन्हें कोई मार्ग नहीं दिख रहा था | तब वह देवताओं के राजा इंद्र के पास पहुंची |

राजा इंद्र ने उन्हें सुझाव दिया जिससे वह राजा बलि के पास गई और उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया | उपहार स्वरूप अपने पति को वापस ले गई |

एक अन्य कथा के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को भगवान विष्णु ने हरग्रीव का अवतार लेकर वेदों को प्राप्त किया था ब्रह्मा जी के लिए | हरग्रीव को बुद्धि एवं विवेक का प्रतीक माना जाता है |

महाभारत काल से रक्षाबंधन


महाभारत कथा के अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्ण की उंगली में चोट लग गई | उस वक्त  द्रौपदी ने अपने साड़ी का टुकड़ा श्री कृष्ण के हाथों पर बांध दिया था | भगवान श्री कृष्ण ने इसे उपकार समझा उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था | कालांतर में  कौरव और पांडवों के संघर्ष के बीच जुए के खेल में जब पांडव द्रौपती को हार जाते हैं और कौरव द्रौपदी का चीर हरण करना चाहते हैं| उस समय द्रौपदी की लाज की रक्षा भगवान श्री कृष्ण ने की थी |

एक अन्य घटनाक्रम के अनुसार महाभारत युद्ध के समय जब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा कि हम महाभारत का युद्ध कैसे जीत सकते हैं? और कैसे अपनी सेना की रक्षा कर सकते हैं? तब इस जवाब में श्री कृष्ण ने सभी के हाथों पर रक्षा कवच बांधने का सुझाव दिया और कहा कि इस रक्षा कवच और मंत्र की शक्ति अवश्य ही हमारे सैनिकों की रक्षा करेगी | श्री कृष्ण के मार्ग निर्देशन पर धर्म एवं अधर्म की युद्ध में पांडव विजयी रहे |

गुरु शिष्य की कहानी

प्राचीन काल में शिक्षा के लिए गुरुकुल होता था जहां जाकर छात्र पढ़ाई करते थे | और पढ़ाई समाप्त होने तक वही रहते थे | जब उनकी पढ़ाई समाप्त हो जाती थी तब वह गुरु से विदा लेने के लिए उनके पास जाते थे और गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए अपने गुरु को रक्षा सूत्र बांधते थे |

वही गुरु अपने शिष्य के हाथों में रक्षा सूत्र बांधकर उनकी सफलता का आशीर्वाद देते थे जिससे कि वह अपने निजी जीवन सफल रहे और गुरु की शिक्षा का सदुपयोग करें|
यही कारण है कि जब भी पूजा पाठ होता है तो याचक पंडित जी के द्वारा सभी के हाथों पर रक्षा सूत्र कवच बांधा जाता है |

रक्षा बंधन का इतिहास


इतिहासिक  कारण कर्मावती और हुमायूं  कहानी

सदियों से हमारे देश में अनेकों युद्ध हुए हैं इतिहास में जब युद्ध के दौरान को कोई राजा एवं उसकी सेना , युद्ध के लिए  निकलने से पूर्व  महिलाएं उनके हाथों पर रक्षा कवच एवं सर पर तिलक लगाकर उनकी सुरक्षा की कामना करती थी | एक बार की बात है मेवाड़ की रानी कर्मावती को सूचना मिलती है कि बहादुर शाह उन पर हमला करने वाला है |

चुकी मेवाड़ बहादुर शाह जफर से युद्ध करने में असमर्थ था | अतः रानी को अपनी हार सामने नजर आ रही थी अपने राज्य की रक्षा के लिए रानी ने एक पत्र एवं राखी मुगल सम्राट  के पास भेजें | हुमायूं जो कि मुसलमान समुदाय से आता है उन्होंने राखी की लाज की रक्षा करते हुए  | मेवाड़ पहुंचकर बहादुर शाह से मेवाड़ की तरफ से युद्ध किया | इस युद्ध में हुमायूं अर्थात मेवाड़ की विजय हुई एवं कर्मावती का राज्य सुरक्षित रहा यही वजह है कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी रक्षाबंधन का त्योहार मनाते हैं |

रक्षाबंधन और सिकंदर


एक अन्य कथा के अनुसार सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के घोर शत्रु पूर्वावास के हाथों पर रक्षा कवच बांधकर उसे अपना भाई बना लिया तथा अपने पति को ना मारने का वचन ले लिया | जिसके कारण युद्ध में जब सिकंदर और पूर्वावास  आमने सामने हुए तो   सिकंदर ने पूर्वावास को नहीं मारा उसे जीवनदान दे दिया हाथों पर बंधीं राखी और अपनी वचन की रक्षा के लिए |

जैन धर्म में राखी मनाए जाने का कारण

जैन धर्म के अनुसार विष्णु कुमार मुनिराज ने 700 ऋषि यों की रक्षा की थी तभी से जैन धर्म में राखी का त्यौहार मनाया जाता है |

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मे  राखी का त्यौहार

जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था | उस समय अंग्रेज लॉर्ड कर्ज़न ने बंगाल विभाजन लाया तब गुरुदेव श्री रविंद्र नाथ टैगोर ने बंग बंग का विरोध करने के लिए रक्षाबंधन त्यौहार का सहारा लिया एवं लोगों में एकता तथा आपसी प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधने का आवाहन किया | सन 1905 में प्रकाशित गुरुदेव की कविता मातृभूमि वंदना में लिखा है |
“हे प्रभु! मेरे बंगदेश की धरती, नदियाँ, वायु, फूल – सब पावन हों;
है प्रभु! मेरे बंगदेश के, प्रत्येक भाई बहन के उर अन्तःस्थल, अविछन्न, अविभक्त एवं एक हों।

गुरुदेव इस त्यौहार के माध्यम से लोगों को एकत्रित करने में सफल रहे भंग भंग के विरोध में लोग सड़कों पर उतर गए और अंग्रेजों के प्रति लोगों की नाराजगी खुलकर सामने आई और लोग कुछ इस प्रकार करते हुए सड़कों पर उतर गए |

सप्त कोटि लोकेर करुण क्रन्दन, सुनेना सुनिल कर्ज़न दुर्जन;
ताइ निते प्रतिशोध मनेर मतन करिल, आमि स्वजने राखी बन्धन।

रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

इस दिन लड़कियां महिलाएं व्रत रखती हैं एवं प्रातकाल स्नान आदि के पश्चात एक थाल में राखी, एक दीप ,चंदन ,कुमकुम, मिठाई आदि लेकर अपने भाई के पास जाती हैं वही लड़के तैयार होकर पूजा की उपयुक्त स्थान पर बैठते  हैं | सर्वप्रथम अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है उसके बाद  भाई का टीका चंदन कुमकुम से किया जाता है, उसकी आरती की जाती है |

तदोपरांत भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधा जाता | उसके बाद बहन द्वारा भाई को मिठाई खिलाई जाती है एवं भाई उपहार स्वरूप बहन को गिफ्ट कपड़े पैसे आदि देता है एवं उसकी सुरक्षा का वचन देता है वहीं दोपहर में कुछ विशेष प्रकार के पकवान भी बनाए जाते हैं| इस दिन गरीबों में भोजन कपड़े पैसे आदि का दान भी किया जाता है|  यह त्यौहार भाई बहनों के अटूट प्रेम का प्रतीक है |

वर्तमान में कई भाई-बहन राखी के अवसर पर एक दूसरे से मिल नहीं पाते हैं तो ऐसे में बहन अपने भाई को डाक के द्वारा राखी भेजती है |

वर्तमान में भारत में राखी का स्वरूप

राखी के अवसर पर राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति की कलाई पर राखी छोटे स्कूली बच्चों के द्वारा बांधी जाती हैं|  वही कुछ महिला मंत्री देश की बॉर्डर पर पहुंचकर जवानों को राखी बांधती हैं | भारतीय सैनिक जो कि सरहद पर देश की रक्षा कर रहे हैं के हाथों पर रक्षा कवच बांधकर उनकी सुरक्षा का प्रार्थना करती हैं|

वहीं कुछ  पर्यावरण प्रेमी लोग वृक्षों को भी राखी बांधते हैं | पेड़ पौधों का हमारे जीवन में क्या योगदान है ?यह हम सभी को पता है वृक्षों के प्रति लगाव तथा पेड़ पौधों को ना काटने की जागरूकता के लिए कुछ समाज सेवकों द्वारा वृक्षों को राखी बांधी जाती है |

रक्षाबंधन त्योहार पर सरकार की तैयारी

रक्षाबंधन के त्यौहार पर भारत सरकार द्वारा कई विशेष तैयारियां की जाती हैं| रक्षाबंधन के त्यौहार पर लोग एक जगह से दूसरी जगह पर यात्रा करते हैं| जिससे कि बसों और ट्रेनों में बहुत अधिक भीड़ हो जाती है इसको देखते हुए रक्षाबंधन के त्यौहार पर कई स्पेशल ट्रेनें एवं बस चलाए जाते हैं इतना ही नहीं कुछ राज्य सरकारों द्वारा रक्षाबंधन के त्यौहार पर महिलाओं के लिए फ्री यात्रा सुविधा भी दी जाती है|
जो बहन अपने भाई से नहीं मिल पाती हैं वह डाक के द्वारा राखी भेजती है |

ऐसे में डाकघरों में राखी के लिए एक विशेष प्रकार का लिफाफा उपयोग में लिया जाता है वस्तुतः भारतीय डाक में आप 20 ग्राम तक का लिफाफा भेज सकते हैं परंतु राखी के त्योहार पर आप 50 ग्राम तक का लिफाफा भी भेज सकते हैं | ऐसा केवल रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए किया जाता है | लिफाफा केवल ₹10 की कीमत में प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि राखी का त्यौहार अगस्त महीने में होता है जो कि बारिश का मौसम होता है |

भारत में ऐसे में भारत सरकार लिफाफे को कोई नुकसान ना हो इसलिए वाटर प्रूफ लिफाफे उपयोग में लेती है एवं पत्रों को जल्दी से पहुंचाया जा सके इसलिए कुछ स्पेशल डाक कर्मियों की भर्ती की जाती है एवं इस प्रक्रिया को काफी तेज रखा जाता है |

कैसा होता है राखी ?

प्राचीन काल में रक्षाबंधन केवल एक रेशम का धागा होता है था परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया रक्षाबंधन का स्वरूप भी बदलता जा रहा है वर्तमान में भारतीय बाजारों में अनेकों विविध प्रकार की राखी उपलब्ध है जोकि पांच ₹10 से लेकर 60- 70 हजार के दामों पर भी मिलते हैं भारतीय बाजारों में सोने चांदी से जड़ित अनेकों डिजाइन की राखियां मौजूद है |

2022 की सबसे महंगी राखी

इस साल के लिए भारत की सबसे महंगी राखी गुजरात राज्य में बनकर तैयार है| राखी की कीमत ₹50 लाख है स्वर्ण जड़ित यह राखी लगभग ब्रेसलेट के जैसे हैं गुजरात के सूरत स्थित शोरूम में सोने चांदी एवं प्लेटिनम से बनी राखियां हैं | इन राखियो को आप भी ऑर्डर देकर बना सकते हैं | ये राखियाअत्यधिक सुंदर है एवं लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है |

रक्षाबंधन त्योहार का महत्व

भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन त्यौहार का उत्कृष्ट स्थान है| रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहनों के अटूट प्यार एवं रिश्ते की पहचान है |यह खुशियों तथा एकता का प्रतीक है |अपनी बहन को राखी पर दिया गया वचन अवश्य पूरा करें वर्तमान में लोग अपने काम की वजह से दूर रहते हैं एवं रक्षाबंधन के त्यौहार पर भी अपनी बहन से मिल नहीं पाते हैं| रक्षाबंधन मिलजुल एवं खुशियों को दिखाता है इसलिए आप कहीं भी रहे कुछ भी करें|

रक्षाबंधन के त्यौहार पर भाई-बहन अवश्य मिले रक्षाबंधन के त्यौहार पर केवल दिखावे के लिए बहन के साथ सेल्फी ही ना पोस्ट करें बल्कि अपनी बहन की खुशियों का ध्यान भी रखें वही बहनें अपने भाई को हमेशा साथ दें  | रक्षाबंधन त्यौहार की मर्यादा को बनाए रखें रक्षाबंधन भारत का धार्मिक गौरव है इसे बचाए रखें |

रक्षाबंधन के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

1. रक्षाबंधन पर भारतीय सिनेमा बॉलीवुड में 2movie भी बनाई जा चुकी हैं |
सन 1972 में एसएम सागर द्वारा बनी फिल्म राखी और हथकड़ी सन 1976 में राधा कांत शर्मा ने  और राइफल और राखी बनाना |

2.इस वर्ष 2022 में 11 अगस्त रक्षाबंधन के अवसर पर अभिनेता अक्षय कुमार की मूवी रक्षाबंधन रिलीज हो रही है इस मूवी में भाई बहनों की कहानी है जो कि ड्रामा से भरपूर है इस मूवी में अक्षय कुमार एवं भूमि पंडेकर मुख्य किरदार के रूप में है| मूवी में भाई बालों के अटूट प्रेम रिश्ते को दिखाया गया  यह एक परिवारिक मूवी है |

3.मशहूर लेखक हरि कृष्ण प्रेमी ने रक्षाबंधन नाम का नाटक लिखा है यह एक प्रसिद्ध रचना है |

4.रक्षाबंधन का त्यौहार महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है

5.रक्षाबंधन का त्योहार भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका ,मारीशस में भी मनाया जाता है |

6.भारत में प्रसिद्ध अमरनाथ गुफा की यात्रा रक्षा बंधन के दिन  सावन मास की पूर्णिमा को संपन्न होता है |

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