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रूपरेखा
आज का लेख “ ध्वनि प्रदूषण पर निबंध( Essay on Sound pollution in Hindi) |” इस निबंध को विस्तृत रूप से लिखा गया है यह निबंध विशेषत: UPSC, SSC, TET, CTET, BED आदि परीक्षाओं को को ध्यान में रखकर लिखा गया है | General knowledge (सामान्य ज्ञान )की अधिक से अधिक जानकारी के लिए एवं अच्छे प्रश्नों के लिए वेबसाइट hindigk guru पर विजिट करें |
ध्वनि प्रदूषण प्रस्तावना
प्रदूषण के कई रूप होते हैं, जैसे- वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण ,ध्वनि प्रदूषण , मृदा प्रदूषण , रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि |आज के समय में हो रहे प्रदूषकों में ध्वनि प्रदूषण – वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण की तुलना में कम हानिकारक है | प्रदूषण मानव जीवन को अत्याधिक प्रभावित कर रहा है |
विश्व का सबसे प्रदूषित शहर रियो डी जेनेरो में युद्ध ध्वनि प्रदूषण का स्तर 120 डेसीबल है |डब्ल्यूएचओ के अनुसार ध्वनि का स्तर 43 डेसीबल होना चाहिए| एक सर्वे के मुताबिक हमारे महानगर दिल्ली मुंबई कोलकाता में धोनी का स्तर 60 से 100 के बीच पाया गया |
ध्वनि प्रदूषण क्या है?
ध्वनि प्रदूषण का अभिप्राय अवांछित ध्वनि से है, जब प्रदूषण अत्यधिक शोर के कारण हो रहा हो तो उसे ध्वनि प्रदूषण करते हैं |
ध्वनि प्रदूषण का क्या कारण है?
मानवीय क्रियाकलापों से –
दैनिक जीवन में अनेकों ऐसे कार्य करते हैं जो ध्वनि प्रदूषण के अंतर्गत आता है, जैसे-वाशिंग मशीन, मिक्सी, जूसर ,क्लीनर आदि | इनमें से निकलने वाली तेज ध्वनि प्रदूषण का कारण है , इसके अलावा स्पीकर पर गाने सुनना, टेलीविजन, रेडियो से निकलने वाली ध्वनि आदि |
धार्मिक कार्यक्रमों से –
हमारे देश भारत में ध्वनि प्रदूषण का प्रमुख कारण है – हमारे यहां के धार्मिक रीति रिवाज | जैसे कि हमारे देश में किसी भी धार्मिक कार्यक्रम एवं समारोह पर स्पीकर पर तेज गाने बनाए जाते हैं, यह कार्यक्रम कई-कई दिनों तक भी चलते हैं | जिससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता | धार्मिक क्रियाकलापों की बात करें हमारे भारतीय समाज में होने वाले शादी ,समारोह |
हमारे देश में शादी समारोह , कई दिनों तक चलने वाली भारतीय शादी विवाह की बात ही अलग है | विवाह के कई दिन पहले से ही इसकी तैयारियां की जाती है एवं कई दिन पूर्व से ही डीजे लाउडस्पीकर पर तेज फिल्मी गाने बजाए जाते हैं | इतना ही नहीं हमारे देश में जब भजन, कीर्तन, मंदिरों की आरती एवं नमाज आदि कार्यक्रमों का आयोजन भी स्पीकर पर होता है |
दुर्गा पूजा , दिवाली , होली, ईद जैसे त्योहारों पर डीजे ,लाउडस्पीकर पर तेज गाने आदि बजाए जाते हैं एवं यह प्रक्रिया कई दिनों तक चलती है | इन सभी कार्यक्रमों में बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है | ऐसे करते समय हम अपनी खुशियों में इतना त्तलीन हो जाते हैं कि इस बात को बिल्कुल नजरअंदाज कर देते हैं कि कहीं हमारे आस पड़ोस में कोई बीमार व्यक्ति हो या कोई बुजुर्ग हो या फिर कोई अस्पताल हो और बीमार व्यक्ति को इतनी तेज ध्वनि होने से परेशानी हो रही हो या फिर बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है | अधिक तेज ध्वनि से वह पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहा हो | यह हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता है कि हम यह कार्यक्रम कर सकते हैं परंतु हमारी स्वतंत्रा उसी जगह खत्म हो जाती है जहां पर किसी को हानि पहुंचे | हमारे कहने का यह बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि हम संगीत समारोह का आयोजन नहीं करें | आवश्यक यह है कि हम ध्वनि कम रखें जिससे आसपास के लोग प्रभावित ना हो |
यातायात के द्वारा-
जैसे जैसे लोगों का विकास हो रहा है , शहरीकरण को बढ़ावा मिला है लगभग हर शहरी घर में बाईक कार आदि है | यह गाड़ी , मोटर में प्रदूषण का मुख्य कारण है |
औद्योगिक कारखानों द्वारा
कारखाने जो कि लोगों को रोजगार देते हैं और मानव उपयोगी सामान बनाते है | इन कारखानों में बड़ी-बड़ी मशीनें लगी होती हैं जिनके चलने से तेज ध्वनि होती है जिससे न केवल कंपनी में काम कर रहे लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि आसपास के जानवरों पशु पक्षियों को भी प्रभावित करती है |
जनसंख्या वृद्धि के कारण
भारत जैसे देश में जो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है यह भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है खराब शहरीकरण एवं ग्रामीण भारत में जहां एक छोटी सी घर में परिवार के सभी सदस्य रहते हैं और छोटी-छोटी बात पर उनके बीच लड़ाई झगड़े होते हैं जिससे कि पास पड़ोस के लोग प्रभावित होते हैं |
आतिशबाजी पटाखों के कारण
हमारे देश में त्योहारों में एवं अन्य समारोहों में लोग आतिशबाजी प्रयोग करते हैं | इन पटाखों से अत्यधिक मात्रा में सल्फर होता है तथा इसमें अनेक खतरनाक रसायनों का प्रयोग , स्वास्थ के लिए अत्यंत हानिकारक है| इस प्रकार से वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के अत्यधिक तेज होने से पालतू जानवरों एवं घर के बुजुर्ग लोग पड़ता हैं इतना ही कुछ लोग पटाखे पालतू जानवरों के ऊपर फेंक देते हैं जिससे वह जल जाते हैं | हमें ऐसा नहीं करना चाहिए |
प्राकृतिक कारण
ध्वनि प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक कारण भी हैं जैसे बादलों द्वारा तेज गर्जना, बिजली की कड़क ,तूफानी हवाएं आती |यह प्राकृतिक घटनाएं भी वातावरण एवं मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित करती हैं | तूफानी हवाएं प्रत्येक वर्ष हमारे देश में आती है और तटीय राज्यों में भयंकर तबाही मचाती है| जिससे जानमाल को अत्याधिक हानि एवं अकाशी बिजली के संपर्क में आने से लोगों की मृत्यु तक हो जाती हैं |
ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव
1.अत्यधिक तेज होने से बहरापन व कान का पर्दा फटना |
2.सिर दर्द तनाव चिड़चिड़ापन हो सकता है|
3.अत्यधिक शोर के कारण गर्भावस्था शिशु की मौत हो सकती है |
4.हृदय संबंधित रोग हो सकता है |
5.पशु पक्षियों का जीवन संकलित हो सकता है|
6.नींद पूरा ना होने से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है |
ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय
1.कारखानों में उपयोग होने वाले मशीनों में साइलेंसर लगा होना चाहिए अत्यधिक पुरानी हो चुकी मशीनों का उपयोग नहीं करना चाहिए |
2.सड़क के दोनों और पेड़ पौधे लगाना चाहिए क्योंकि ध्वनि प्रदूषण को कम करने में या सहायक होते हैं|
3.गाड़ी मोटर में हारना मधुर होना चाहिए तथा उपयोग कम से कम करना चाहिए शादी समारोह के दौरान लाउडस्पीकर की ध्वनि कम रखनी चाहिए|
4.पटाखे का उपयोग ना करें हवाई अड्डे रेलवे स्टेशन आदि शहरों से दूर हूं|
5.लोगों को जागरूक करें|
FAQs
Q1. विश्व का सबसे प्रदूषित ध्वनि शहर है ?
Ans- रियो डी जेनेरो |
Q2. ध्वनि प्रदूषण को मापने हेतु निम्नलिखित में किस इकाई का प्रयोग करते हैं?
Ans- डेसीबल |
Q3. वायु में ध्वनि में चाल है?
A. 332 मीटर/सेकेंड |
Q4. मनुष्य के लिए शोर की सहन सीमा है ?
A. 80 db|
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